नया साल
खट्टी मीठी यादें देकर हमें पुराना साल गया।
सुख दिया कभी हमें तो गमों से भी साल गया।।
बीते दिन महीना बदले और कभी बरसात हुई।
आया था उमंगे लेकर वैसी सुखद बिदाई हुई।।
वक्त कभी रुकता नहीं वक्त है दरिया जैसा।
पंख लगाकर दूर कहीं फिर से ये भी साल गया।।,,,
गुजरा हुआ वर्ष ये फिर लौट कहां से आएगा।
दीवारों पर नया कैलेंडर फिर फिर से टंग जायेगा।।
नया पुराना कुछ ना होता वक्त बदलता केवल।
काम वही करना है यही बता यह साल गया।,,,,
चला वक्त से ताल मिला वही सफ़ल हो पाता है।
समय चक्र रुकता नहीं साल बदलता जाता है।।
लेकर नया संकल्प नए वर्ष में चलते जाना।
याद हमें रखना दिल में कहकर वे भी साल गया,,,
उमेश मेहरा (गाडरवारा एम पी)