नया कवि
जवानी के जोश में जवान कहां जाके फंसा
जोश क्या करा दे कोई होश नहीं रहता
अपराधी करे अपराध बार-बार उसे
मन में जरा भी अफसोस नहीं रहता
नया कवि वर्ण गिनने में लगा रहता है
कविता में भाव का आगोश नहीं रहता
रण में ले शस्त्र वीर गालियां उगलता है
वीरों के हाथों में शब्दकोश नहीं रहता।।