*नया अमृत उद्यान : सात दोहे*
नया अमृत उद्यान : सात दोहे
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1
आक्रांताओं ने किया, भारत को बर्बाद
पावन नगर प्रयाग था, हुआ इलाहाबाद
2
मुगल जिन्हें अच्छे लगें, गाऍं उनका गान
हमको तो अच्छा लगा, नया अमृत उद्यान
3
ढोऍं दास-निशानियॉं, कहें न उनको भार
मैकाले ने भर दिए, कैसे यह संस्कार
4
फागुन-चैत न जानते, होते हैं यह माह
मैकाले ने जो गढ़ी, शिक्षा उस ही राह
5
हम पर ही हमला हुआ, हम ही लहूलुहान
लिखी न जाएगी रपट, यह है नया विधान
6
हमलावर की कर रहा, मुर्दा भी पहचान
धन्य पोस्टमार्टम-क्रिया, नूतन अनुसंधान
7
अभिनव भारत को गढ़ो, लेकर नव-उत्साह
आजादी अब तो दिखे, नगर-नगर हर राह
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451