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26 Jul 2024 · 1 min read

नमन साथियों 🙏🌹

नमन साथियों 🙏🌹
दिनांक- 26/07/2024,,,
बह्र- 2122 2122 2122 212
क़ाफ़िया- बेकार (आर की बंदिश)
रदीफ़- आख़िर क्या करें
************************************
#ग़ज़ल
1,,,
बेटियों का गर्म है बाज़ार आख़िर क्या करें ,
झूठ को सच लिख रहा अख़बार आख़िर क्या करें ।
2,,,
ज़ुल्म की हद हो गई है पार आख़िर क्या करें ,
सख्तियाँ करती नहीं सरकार आख़िर क्या करें ।
3,,,
वक्त कलयुग का बड़ा ज़ालिम लगे इंसान को ,
ज़िंदगी लगती है बस बेज़ार आख़िर क्या करें।
4,,,
हर बशर डूबा है गम में, मुश्किलें हर सू खड़ी,
सख़्त लहजे में लिखे अशआर आख़िर क्या करें।
5,,,
बेहयाई बढ़ गई , मदहोश दुनिया हो गई ,
सच का सिक्का हो गया बेकार आख़िर क्या करें।( गिरह)
6,,,
अब कमाई भी रुलाती ठोकरें खाता बशर ,
टूटता जाता है कारोबार आख़िर क्या करें।
7,,,
“नील” ऐसे दौर में कैसे करे सबका भला ,
मुफ़लिसी ने तोड़ डाला यार आख़िर क्या करें।

✍️नील रूहानी ,,, 24/07/2024,,,,,
( नीलोफर खान )

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