*नमन : वीर हनुमन्थप्पा तथा अन्य (गीत)*
नमन : वीर हनुमन्थप्पा तथा अन्य (गीत)
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ओढ़ चादर बर्फ की ,जो सो गए उनको नमन
(1)
बर्फ से वे लड़ रहे थे ,शत्रु उनकी ठंड थी
बर्फ की चलती हवा थी ,ठंड जैसे दंड थी
रोज मिलती जिंदगी थी ,मौत से था सामना
सरहदों की सिर्फ रक्षा ,एक उनकी कामना
वीरता के बीज को जो ,बो गए उनको नमन
ओढ़ चादर बर्फ की ,जो सो गए उनको नमन
(2)
मौत से लड़ने सियाचिन की पहाड़ी वे गए
लेकर जवानी की कहानी एक गाढ़ी वे गए
सरहदों की हेतु रक्षा बन प्रभारी वे गए
पास थी तलवार जो लेकर दुधारी वे गए
सिल्लियों में बर्फ की ,जो खो गए उनको नमन
ओढ़ चादर बर्फ की ,जो सो गए उनको नमन
(3)
पाँच-छह दिन तक दसों में एक साँसें चल रहीं
देश की सेवा करूँ कुछ और चाहत पल रहीं
बर्फ से घिर कर मगर भी बर्फ में जिन्दा डटे
शत्रु जैसे मौत थी, लेकिन नहीं पीछे हटे
अर्थ सचमुच शौर्य के ,जो हो गए उनको नमन
ओढ़ चादर बर्फ की ,जो सो गए उनको नमन
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वीर #हनुमन्थप्पा की मृत्यु तिथि #11फरवरी2016
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451