Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2023 · 1 min read

*नमन : वीर हनुमन्थप्पा तथा अन्य (गीत)*

नमन : वीर हनुमन्थप्पा तथा अन्य (गीत)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
ओढ़ चादर बर्फ की ,जो सो गए उनको नमन
(1)

बर्फ से वे लड़ रहे थे ,शत्रु उनकी ठंड थी
बर्फ की चलती हवा थी ,ठंड जैसे दंड थी
रोज मिलती जिंदगी थी ,मौत से था सामना
सरहदों की सिर्फ रक्षा ,एक उनकी कामना
वीरता के बीज को जो ,बो गए उनको नमन
ओढ़ चादर बर्फ की ,जो सो गए उनको नमन

(2)

मौत से लड़ने सियाचिन की पहाड़ी वे गए
लेकर जवानी की कहानी एक गाढ़ी वे गए
सरहदों की हेतु रक्षा बन प्रभारी वे गए
पास थी तलवार जो लेकर दुधारी वे गए
सिल्लियों में बर्फ की ,जो खो गए उनको नमन
ओढ़ चादर बर्फ की ,जो सो गए उनको नमन

(3)

पाँच-छह दिन तक दसों में एक साँसें चल रहीं
देश की सेवा करूँ कुछ और चाहत पल रहीं
बर्फ से घिर कर मगर भी बर्फ में जिन्दा डटे
शत्रु जैसे मौत थी, लेकिन नहीं पीछे हटे
अर्थ सचमुच शौर्य के ,जो हो गए उनको नमन
ओढ़ चादर बर्फ की ,जो सो गए उनको नमन
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
वीर #हनुमन्थप्पा की मृत्यु तिथि #11फरवरी2016
————————————————–
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

183 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
हास्य व्यंग्य
हास्य व्यंग्य
प्रीतम श्रावस्तवी
*सांच को आंच नहीं*
*सांच को आंच नहीं*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
नज़्म/कविता - जब अहसासों में तू बसी है
नज़्म/कविता - जब अहसासों में तू बसी है
अनिल कुमार
अपना चेहरा
अपना चेहरा
Dr fauzia Naseem shad
कंटक जीवन पथ के राही
कंटक जीवन पथ के राही
AJAY AMITABH SUMAN
करवा चौथ
करवा चौथ
नवीन जोशी 'नवल'
शीर्षक – मां
शीर्षक – मां
Sonam Puneet Dubey
*धन व्यर्थ जो छोड़ के घर-आँगन(घनाक्षरी)*
*धन व्यर्थ जो छोड़ के घर-आँगन(घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"प्लेटो ने कहा था"
Dr. Kishan tandon kranti
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
Rj Anand Prajapati
नन्ही परी
नन्ही परी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जीवन
जीवन
Neelam Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
ख्वाहिशों के बैंलेस को
ख्वाहिशों के बैंलेस को
Sunil Maheshwari
■ कविता / स्वान्त सुखाय :-
■ कविता / स्वान्त सुखाय :-
*प्रणय प्रभात*
मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
Shweta Soni
संघर्षी वृक्ष
संघर्षी वृक्ष
Vikram soni
दम तोड़ते अहसास।
दम तोड़ते अहसास।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
2940.*पूर्णिका*
2940.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आदित्य(सूरज)!
आदित्य(सूरज)!
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
किसान
किसान
Dp Gangwar
अच्छा लगने लगा है !!
अच्छा लगने लगा है !!
गुप्तरत्न
बापू गाँधी
बापू गाँधी
Kavita Chouhan
मजदूर
मजदूर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कैसे अम्बर तक जाओगे
कैसे अम्बर तक जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
पिता
पिता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अब तो तुम्हारी मांग में सिंदूर भरने के बाद ही,
अब तो तुम्हारी मांग में सिंदूर भरने के बाद ही,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...