नमन करूँ कर जोर
नमन करूँ कर जोर
तुलसी दल औषधिय है ,
नमन करूँ करजोर ।
करे प्राण रक्षा सदा ,
खुशियाँ दे चहुँओर ।।
दीप शाम प्रज्वलित कर ,
अर्पित कर दो प्रीति ।
चरणों पड़ लो हरि प्रिया ,
करो भाग्य में भोर ।।1।।
तुलसी बिरवा रोपिये ,
कहते आत्मन संत ।
शुभ वर्षा घर आँगना ,
भरे गंध अत्यंत ।।
रोगों का कर नाश है ,
हर्षित हृदयअपार ।
भारत- भू- तुलसी मिलीं
आशिष पा आद्यंत ।।2।।
धरम करम पूरा न हो ,
तुलसी दल बिन व्यर्थ।
संस्कृति की पहचान ये ,
विष्णु भोग का अर्थ ।।
माला तुलसी जपन से ,
भीतर भरता ज्ञान ।
मंत्र , क्रिया सब शुध्द हो ,
होता नहीं अनर्थ ।।3।।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी ,©®