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26 May 2023 · 1 min read

नमन अमर शहीदों को

नमन अमर शहीदों को

जिनके लिए लुटाई जानें मर्ज़ अभी वो बाक़ी है,
शहीदों की क़ुर्बानी का, सिर क़र्ज़ अभी वो बाक़ी है।

जमाने ने कोई कसर ना छोड़ी शहीदों को भुलाने में,
क़ीमत जानों की लगी थी ग़ुलामी वतन की मिटाने में।

आज़ादी को दीवानों ने पिशाची पंजों से खिंचा था,
कहाँ सम्भाल पाए हैं, जिसको उन्होंने अपने खून से सींचा था।

आज़ादी की साँसें बख्शी हैं जिन्होंने इस जमाने को,
उनकी चिताओं पर जाते हैं हम रस्में भर निभाने को।

मक़सद वो बिसार दिया, जिसके लिए वो जान पर खेले,
जमाने को दिखाने के लिए चिताओं पर लगते हैं हर वर्ष मेले।

मुक्ति अभी भी देश में ग़ुलामी भरे उस चिंतन से,
नवभारत का उदय हो चिंतन, शहीदों के उस चिंतन पे।

मक़सद पूरा करने को देना है उनकी सोच पर पहरा,
हमें समझना है उनकी आज़ादी का वो ‘अर्थ’ गहरा।

अदा कर गए वो अपना, पर फ़र्ज़ हमारा बाक़ी है,
आगे बढ़ानी सोच शहीदों की, क़र्ज़ ये उनका बाक़ी है।

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