नफ़रत के बाजार में,,,
नफ़रत के बाजार में मुहब्बत की दुकान खोल रहा हूँ,
अब तक बंद पड़ी जुबान,मैं वही जुबान खोल रहा हूँ।
ज़हर-ए-फिजां में,है मुश्किल,अब सांस लेना देखिऐ,
सब दर बंद है चलो,आज अपना मकान खोल रहा हूँ।
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
नफ़रत के बाजार में मुहब्बत की दुकान खोल रहा हूँ,
अब तक बंद पड़ी जुबान,मैं वही जुबान खोल रहा हूँ।
ज़हर-ए-फिजां में,है मुश्किल,अब सांस लेना देखिऐ,
सब दर बंद है चलो,आज अपना मकान खोल रहा हूँ।
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”