नफरत से इंसान का ,जग में हो उपहास ।
नफरत से इंसान का ,जग में हो उपहास ।
एकमात्र बस प्यार ही , भरता मन उल्लास ।।
भरता मन उल्लास , हारती कटुता प्यारे ।
समरसता का सूत्र , साथ हों अपने सारे।
बैर भाव सब व्यर्थ , त्याग दें गंदी फितरत ।
रुकता आत्म विकास , रोकती शुचि पथ नफरत।।
सतीश पाण्डेय