नफरत को नो
नफरत से चलता नहीं , हो कोई भी देश ।
क्या रक्खा है द्वेष में , स्वस्थ रहे परिवेश ।।
स्वस्थ रहे परिवेश , बड़ी महँगी आजादी ।
अगणित हैं बलिदान ,सजी तब तन पर खादी ।
दूषित मत कर सोच , बदल दे अब भी फितरत ।
समरसता हो मित्र , हार माने फिर नफ़रत ।।
सतीश पाण्डे