नन्ही भव्या
नन्ही भव्या आज पापा के साथ बैठकर अपनी इंग्लिश की याद की हुई कविता सुना रही थी। अभी भव्या यूकेजी कक्षा की छात्रा है। स्कूल में उसकी टीचर जो कविता हाव-भाव लय के साथ सुनाती थीज़ उसका हुवाह अभिनय भव्या भी करती थी। पापा पिछले एक सप्ताह से अपने ऑफिस के काम से घर के बाहर थे, भव्या पापा के आने का इंतजार कर रही थी। उसे पापा को कविता, कहानी चुटकुलें सुनना अच्छा लगता था, पापा की लाड़ली जो थी भव्या।
आज पापा अपने ऑफिस के काम से घर वापिस आये है, जैसे ही पापा घर आये सीधे भव्या की नजर पापा पर पड़ी ! दौड़ कर लिपट गयी। पापा ने अपनी गुड़िया को गोद मे लेकर उठाते हुए बोले!
पापा- मेरी नन्ही परी भव्या कैसी है मेरी बेटी?
भव्या- पापा आपकी बहुत याद आयी, मैंने स्कूल में बहुत सी कविता सीखी, परंतु आप थे ही नही; किसे सुनाती मैं?
पापा- मम्मी को सुनाती।
भव्या- पापा मम्मी कविता, कहानी सुनती तो है परंतु वो मुझे रोज कहानी नही सुनाती है। पापा आप मुझे रोज अच्छी-अच्छी कहानी सुनाते है इसलिए मैं आपको कविता सुनाऊँगी।
पापा ने भव्या को गले से गलाकर और प्यार भरी थपकी देकर समझाया कि मम्मी को कविता सुना दिया करो; मम्मी भी आपको कहानी सुनाएगी। सुनाओगी ना! (मम्मी की ओर इशारा करते हुए)
सभी खिलखिलाकर हँसने लगे।
आज भव्या ने पूरे दिन का मेनू अपने दिमाग मे बना रखा था, पापा के साथ नहाना, कपड़े पहनना, और पापा के साथ स्कूल जाना, स्कूल के बाद गार्डन में खेलने जाना। एक-एक करके अपनी सभी बातें पापा को बता दिया। पापा ने मुस्कुराते हुए हामी भरी।
आज भव्या बहुत खुश थी, उसे पापा के साथ जो रहना था। स्कूल में उसका मन नही लग रहा था। उसकी मेडम से दो-तीन बार छुट्टी कब होगी पूछ चुकी थी।
स्कूल की छुट्टी होते ही सीधे सबसे पहले गेट पर पहुँच गई, पापा पहले से ही उसका इंतजार कर रहे थे। पापा के पास दौड़कर आयी और बोली चलो पापाजी, हम गार्डन घूमने चलते है।
पापा भव्या को मोटर साइकिल में बिठाते हुए, हाँ गुड़िया जरूर चलाएँगे घूमने पहले आप घर जाकर, स्कूल की ड्रेस चेंज करो।फिर चलते है घूमने। घर जाकर फटाफट ड्रेस चेंज हो गई, फिर मम्मी-पापा के साथ पार्क घूमने निकल पडी।
आज पार्क में बहुत भीड़भाड़ नजर आ रही थी। बहुत सारे बच्चे झूले झूलते हुए किलकारी मार रहे थे। तो कोई पार्क में खेलते हुए शोर मचा रहे थे। सभी बच्चों को देख भव्या बहुत खुश हो रही थी। पापा ने भव्या को एक झूला पर बिठाया और झुलाया, बहुत देर तक भव्या ने झूला झूला। पार्क में बहुत जगह भव्या की खेलते हुए, मुस्कुराते हुए फोटो खींची गई। काफी देर खेलने के बाद आइसक्रीम खाई गई, जूस पीकर भव्या ने कहा पापा आप बहुत अच्छे है, आप मुझे घुमाने ले जाते हो, आइसक्रीम खिलाते हो, कहानी सुनाते हो और आप कभी डांटते भी नही हो। मम्मी मुझे डांटती है और कोई भी काम करने से मना करती है।
भव्या- पापा! आप ऑफिस जाएँगे तो मम्मी को समझा देना कि वो मुझे न डांटे, और मुझे रोज कहानी सुनाए। पापा हामी में सिर हिलाते है, और भव्या के चहरे में मम्मी पर विजय पाने वाली मुस्कान झलकने लगती है।
(मन ही मन मिस्टर कुमार सोचते है कि इस नन्ही गुड़िया को क्या समझाए की मम्मी ही उसका सबसे ज्यादा ख्याल रखती है, सुबह से लेकर रात तक उसके काम मे लगी रहती है, भव्या को एक छोटी सी छीक भी आ जाये तो मम्मी परेशान हो जाती है। परन्तु मम्मी के साथ रहने से एवं मम्मी की रोका-टोकी से भव्या को लगता है कि मम्मी उससे कम प्यार करती है, और पापा ज्यादा !)
लेखक
श्याम कुमार कोलारे
छिन्दवाड़ा, मध्यप्रदेश
shyamkolare@gmail.com