“नन्हीं सी तितली”
“नन्हीं सी तितली”
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नन्हीं सी तितली,
जब मेरे आंगन में आती है,
दौड़ मैं भी साथ उसके,
दूर चला जाता हूं ।
कभी हाथ नहीं आती मेरे,
डाल- डाल मंडराती है,
कहीं फूलों पर बैठकर,
झूम- झूम कर गाती है।
तरह-तरह के नये नये,
रूप हमे दिखाती है,
हमको पास बुलाती,
हमको नाच नचाती है।
देख उसकी कोमलता,
छूने को जी करता है,
जब भी पास जाऊं उसके,
आहट से उड़ जाती है।
उड़-उड़ कर, यहां- वहां,
अपनी धुन में गाती है,
कभी पास आती है मेरे,
कभी दूर वह जाती है।
नन्हीं सी तितली
जब मेरे आंगन में आती है।।
बाल कविता
✍वर्षा (एक काव्य संग्रह)/राकेश चौरसिया”अंक”