ननद और भाभी
ननद और भाभी का रिश्ता कच्ची डोर सा होता है ज़रा सा भी झटका लगा एक पल में ही टूटकर बिखर जाता है। और कहीं पर देखो तो ननद भाभी का ये रिश्ता सगी बहनों से भी प्यारा होता है, दो प्यारी सहेलियां बन जाती है ननद भाभी। आखिर क्या कारण है कि ननद भाभी के इतने प्यारे रिश्ते में खटास आने का ? दरअसल जिस भाई की जान होती है बहन, और बहन के लिए भाई सांसों से भी कीमती होता है, इश्वर का दिया अनमोल तोहफा होता है भाई, सबसे पहले उनके ही रिश्तों में दूरियां आनी शुरू हो जाती है। यदि बहन की शादी पहले हो तो बहन ये चाहती है कि भाई उसके पति का बहुत ही मान-सम्मान करें, उसे भी पति के सामने कुछ ऐसा मत बोले कि उसका पति उसके भाई को लेकर ताना मारे( जैसा कि शादी से पहले भाई-बहन आपस में प्यार भरी लड़ाई में एक दूसरे को कुछ भी कह देते थे ) भाई अगर कुछ भी लेता है, कोई नया काम शूरू करता है वगैरा तो उसके पति से सलाह- मशवरा करें इत्यादि। कहीं अगर उसे ये महसूस हुआ कि भाई ने अगर एक बार उसके पति को को नहीं पूछा तो उसे बुरा लगता है। हर इन्सान का अपना नज़रिया होता है, अपनी अलग लाइफ होती है, ऐसी बातों से कभी-कभी भाई चिढ़ जाता है।
और अगर भाई की शादी पहले हुई तो वहां बहन को लगता है कि उसका प्यार बंट गया, जो भाई हर समय उसी के नाम की माला जपता था, अब वो हर समय भाभी का ही नाम रटता है, दरअसल भाई की अब और भी ज़िम्मेदारियां बढ़ गई है, उसे वो भी निभानी है, जीवनसाथी का साथ देना है, एक परिवार और बढ़ गया, उसे भी वक्त देना है। इन्हीं सब में फिर उसे भाभी अच्छी नहीं लगती, और जहां बहन भाई पर भाभी से ज्यादा अपना हक जताना चाहती है तो वहां भाभी को ननद अच्छी नहीं लगती। इस सिक्के के दो पहलू हैं, कहीं- कहीं भाई-बहन में इतनी ज्यादा अंडरस्टैंडिंग होती है कि उनका आपस के साथ-साथ एक दूसरे के हमसफ़र के लिए भी प्यार बढ़ता है, सभी आपस में एक – दूसरे का मान करते हैं।
लेकिन आज के समय में ननद -भाभी के रिश्ते की कड़वाहट का एक नया पहलू भी उजागर हुआ है, सरकार ने जो बेटी का पैतृक सम्पत्ति पर अधिकार का नियम बनाया है ये भी कहीं पर दूरियां पैदा करता है। कहीं पर ननद पैसे की हवस के कारण सब कुछ होते हुए भी जायदाद में से हिस्सा लेना चाहती है, और कहीं चाहे ननद कुछ भी ना कहे, फिर भी भाभी को एक खौफ रहता है कि ना जाने ननद कब जायदाद में से हिस्सा मांग ले ।
नन्द–भाभी का रिश्ता बहुत ही प्यारा होता है, जो भाई आपकी जान है, भाभी उसी की जान होती है। भाई के लिए जो बहन इश्वर से पहले होती है, हमरे हिन्दू धर्म में तो वैसे भी बेटी- बहन को देवी माना जाता है, उसका पति उसका परमेश्वर है, तो इस नाते भाभी-ननद का रिश्ता भी गहरा हुआ, अगर छोटी-छोटी बातों को दरकिनार किया जाए, और आपस में एक-दूसरे के लाभ अंडरस्टैंडिंग हो तो कभी भी नन्द–भाभी के रिश्तों में दरार ना आए, बस इसे प्यार से निभाते जाएं, खुशियां बांटते जाएं और खुशियां बटोरते जाएं।
शंकर आँजणा नवापुरा धवेचा
बागोड़ा जालोर-343032
कक्षा स्नातक तृतीय वर्ष व BSTC दुतीय वर्ष