नदी बन जा तू
जीना चाहता है खुशी से
तो नदी बन जा तू
बह जाए जो पानी
उसके लिए न पछता तू
जो भी आए राह में तेरी
उसे साथ लेता हुआ चल
जो छूट जाए पीछे, उसके
बारे में सोच न एक पल
है ज़िंदगी छोटी बहुत
और तेरी तम्मानाएं बहुत
देखता रहा पीछे तो
कैसे हो पाएगी पूरी ये
बढ़ता चल आगे यूं ही
जो पाना है अपनी मंजिल तुम्हें
अगर सोचता रहा अतीत को
कहीं रह न जाए अधूरी ये
हो बाधाएं कितनी भी राह में उसकी
नदी अपना रास्ता बना ही लेती है
करना है हमको भी अनुकरण उसका
नदी जीवन में आगे बढ़ने की सीख देती है
ठानी है उसने मन में
सागर में मिलना है उसको
हो जायेगा अस्तित्व खत्म
नहीं है ये डर भी उसको
हो जब तक इस दुनिया में
फूल की तरह खिलना है
है निश्चित, तुझको भी इक दिन
इसी मिट्टी में मिलना है।