नदी को बहने दो
कब तक रोकोगे इस नदी को
धैर्य का बांध बनाकर तुम
न रोको अपने जज्बातों को
अब इस नदी को बहने दो तुम
रोकोगे ज़्यादा तो बांध टूट जायेगा
जो तेरा ज़्यादा नुकसान कर जायेगा
बह जायेगी जज्बातों की बाढ़ मगर
फिर भी चैन तुझको न आ पाएगा
पानी का रुकना भी अच्छा नहीं
बाढ़ का आना भी अच्छा नहीं
चलता रहे गर जल प्रवाह निरंतर
इस बात से कुछ भी अच्छा नहीं
है जो भी मन में, अभी बोल दो
ये झिझक तुम अभी तोड़ दो
है किस बात का डर तुमको
सबकुछ ऊपर वाले पर छोड़ दो
न कहने से तो बढ़ेगी गलतफहमियां
और तिल का ताड़ बन जायेगा
थोड़ी हिम्मत जुटाकर जो कोशिश करोगे
तुम अभी, मामला सुलझ जाएगा
जो न कहा फिर भी तुमने
दिल का गुबार बढ़ जाएगा
सोचकर जागता रहेगा रातभर
नींद के लिए भी तरस जायेगा
उसका तो कुछ न बिगड़ेगा
तू खुद को ही हानि पहुंचाएगा
घुटता रहेगा मन ही मन तू हमेशा
बीमारियों का घर बन जायेगा।