*नदी और समुद्र (कुंडलिया)*
नदी और समुद्र (कुंडलिया)
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बोला नदिया से #उदधि ,देखो मेरी शान
गहराई मुझ में भरी , यह मेरी पहचान
यह मेरी पहचान ,सुना नदिया मुस्काई
बोली बीती उम्र ,बुद्धि अब तक कब आई
कहते रवि कविराय ,राज नदिया ने खोला
जिसमें भरी मिठास , बड़ा जो मीठा बोला
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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उदधि = समुद्र