नज़ारे नजरों में समा जाते है ।
नज़ारे नजरों में समा जाते है ।
जब गोद में प्रकृति की आते है ।।
मन करता है साथ छोड़े नहीं इनका ।
पर कर्तव्य पथ भी तो बुलाते है ।।
राजेश व्यास ” अनुनय “
नज़ारे नजरों में समा जाते है ।
जब गोद में प्रकृति की आते है ।।
मन करता है साथ छोड़े नहीं इनका ।
पर कर्तव्य पथ भी तो बुलाते है ।।
राजेश व्यास ” अनुनय “