नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
सो सो बार रुलाते हैं आज मुझको हँसाने वाले
नज़र बचा कर चलते है वो मुझको चाहने वाले
दिल अगर रोता है हमारा तो वो मुस्कुराते हैं
दिल बहलाना है उन्हे कहीं और चले जाते हैं
दिल तोड़कर हँसते हैं दिल्लगी सिखाने वाले
नज़र बचा कर चलते हैं………
मैं वो नही हूँ कि किसी को बेवफा कह दूँ
कभी कहा था खुदा मैं कैसे नाखुदा कह दूँ
यही तो थे वो हमसे मोहब्बत जताने वाले
नजर बचा कर चलते हैं………
जाने क्यूँ बेवजह यूँ दिल मेरा तोड़ दिया
देके इल्ज़ाम यूँ मोहब्बत से मुँह मोड़ लिया
कहाँ गए हैं वो दूर से आवाज लगाने वाले
नज़र बचा कर चलते हैं……….
V9द रहें ना रहें अब चाहे इस जमाने में
हासिल क्या होगा बेवजह अश्क बहाने में
खुद ही पछताएंगे वो एक दिन भुलाने वाले
नज़र बचा कर चलते हैं……….
स्वरचित
V9द चौहान