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22 Jul 2024 · 1 min read

नज़र नहीं आते

गीतिका
~~~
आजकल क्यों नजर नहीं आते।
हम नहीं आपको भुला पाते।

बात मन की कही नहीं जाती।
शब्द क्यों आज हैं ठिठक जाते।

हो गयी लुप्त क्यों हँसी सुन्दर।
थे कभी साथ खूब मुस्काते।

छा रही सावनी घटा देखो।
खूब बौछार मेघ बरसाते।

क्यों भरोसा करें हसीनों पर।
स्वप्न सच्चे कभी न दिखलाते।

मुस्कुराते रहे बहारों में।
जुल्फ श्यामल हसीन बिखराते।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २२/०७/२०२४

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