नज़रिया
चीरागों के हौसलौं से तो तूफाँ के इशारे बदल जाते हैं
नज़रिया बदल लो तो नज़ारे बदल जाते हैं
वक्त से बड़ा तो कोई मरहम नहीं होता
वक्त के साथ तो सारे बदल जाते हैं ।
॰ राजीव कुमार ॰
चीरागों के हौसलौं से तो तूफाँ के इशारे बदल जाते हैं
नज़रिया बदल लो तो नज़ारे बदल जाते हैं
वक्त से बड़ा तो कोई मरहम नहीं होता
वक्त के साथ तो सारे बदल जाते हैं ।
॰ राजीव कुमार ॰