नजर से नजरिये तक
किसी पत्थर से मोहब्बत करने लगी।
कोई कहता है ठोकर लगी तो,
कहने लगी, मोहब्बत करने लगी। इतनी बदनाम हुई तब जाकर मोहब्बत सरेआम हुई- डॉ. सीमा कुमारी ,बिहार
भागलपुर, दिनांक-21-3-022, मौलिक स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।