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1 Dec 2024 · 1 min read

नजर नहीं आता

कुछ ही दरख़्त बचे हैं,
सब जड़ें खोद दी गई है,

मिटा न सके नामोनिशां,
कौन कितना धार्मिक है,

लड़ रहे हो किसके लिए,
इतने खाली इतने अकेले,

ये जो सतत बह रहा है ..
नजर नहीं आता, नज़र न..

~ Mahender Singh Khaletia ~

Language: Hindi
1 Like · 28 Views
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