नजरे तो मिला ऐ भरत भाई
नजरे तो मिला ऐ भरत भाई तू क्यों इतना शरमाया है
किस लिए छोड़ा राज अयोध्या किस लिए आप पधारे हैं
शाही वस्त्र उतार दिए क्यों सादे वस्त्र धारे हैं
कैसे पिता हमारे हैं तूने कुछ भी नहीं बतलाया है
कटु वचन जै कहा किसी ने राम ना सहने पाएगा
कसम तुम्हारी है भैया ना जिंदा रहने पाएगा
कुछ ना कहने पाएगा जिसने तूझे सताया है
क्या कारण है खुली नहीं है अब तक जबान भ्राता की
कैसे भैया शत्रुघ्न और कैसी तबीयत माता की
कैसी लेख विधाता की आज क्यों इतना घबराया है
राज छोट बनवास में आए नहीं इसमें दोस्त तुम्हारा है
पिता आज्ञा का पालन करना पहले फर्ज हमारा है
और ना कोई चारा है बलदेव ने साफ बताया है