नख-दंत-विहीन
साहित्यकारों, कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रगतिशील बुद्धिजीवियों की आवाज को दबाकर सत्ता में बैठे हुए लोग देश के दबे-कुचले वर्ग को ‘नख-दंतविहिन’ बना देना चाहते हैं..!
साहित्यकारों, कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रगतिशील बुद्धिजीवियों की आवाज को दबाकर सत्ता में बैठे हुए लोग देश के दबे-कुचले वर्ग को ‘नख-दंतविहिन’ बना देना चाहते हैं..!