नकली नोट
दूल्हा बग्गी पर शान से बैठा हुआ था बैंड बाजे और ढोल की थाप पर बाराती पूरे जोश के साथ थिरक रहे थे। छोटे-छोटे बच्चे रोशनदानों को सिर पर रखे हुए चल रहे थे । तभी नाचने वालों पर बाराती जेब में से फ्रेश रुपयों की गड्डी निकालकर उड़ाने लगे। बहुत सारे नोट सड़क पर बिखर गये। जिनमें असली नोट बहुत कम थे , नकली ज्यादा। ढोल -बैंड वालों ने असली नोट उठाकर जेब में रख लिये परंतु नकली नोटों को देखकर वह बुरा मुँह बना रहे थे।रात के अँधेरे में असली-नकली नोटों में अधिक अंतर दिखायी नहीं पड़ रहा था। राह में गुजरते हुए एक शराबी दूसरे शराबी से -“उठा ला सौ-दो सौ नोट आगे चलते हैं, दो पैग का काम चल जाएगा।” नशे में धुत शराबी ने चुपचाप बारात में घुसकर दो चार नोट उठाकर जेब में रख लिए और दोनों आगे चलते बने। तभी पन्नी बीनने वाली चम्पा की नजर सड़क पर बिखरे नोटों पर पड़ी तो ललचाकर बोली-“अरी लाली जल्दी से आ, देख वहाँ बाराती कितने सारे नोट लुटा रहे हैं चल झटपट बीन लेते हैं।” बारात के कुछ आगे गुजरने पर, स्ट्रीट लाइट की झिलमिलाहट में दोनों ने जल्दी- जल्दी सारे नोट बीनकर बोरी में भर लिए। उन्हें देखकर कुछ बाराती मुँह फेरकर हँसने लगे, किंतु किसी ने कुछ नहीं कहा। चम्पा और लाली की खुशी का ठिकाना न था। सड़क की सफाई के साथ गांधी जी की इज्जत भी बच गई थी। धनवान बनने की खुशी में वह दोनों तेज कदमों से बारात की विपरीत दिशा में न जाने कहाँ ओझल हो गईं।