कुछ खोया कुछ पा लिया, बीत रहा इक साल
कुछ खोया कुछ पा लिया, बीत रहा इक साल
आओ अब चिंतन करें, मिला परीक्षण काल।।
खुशी कई हमको मिली, मिले कई ईनाम
मिलकर बाँटे आज सब, खुशियों की है शाम।।
देखे थे सपने कई, कर लेंगे सब काज
कमी कहाँ पर रह गई, चलो विचारे आज।।
रिश्तों के धागे खुले, हुए करीबी दूर
कह-सुन ले बातें सभी, मद हो चकनाचूर।।
बुरा किसी का जो किया, कर लो आज सुधार
पश्चाताप अभी करो, रहे नहीं सिर भार।।
सोलह वाला दे गया, खुशियाँ अमिट, अपार
सत्रह की आहट बुने, मन में रंग हजार।
आने वाला है नया, देखो फिर इक साल
इक इक पल का सोच लो, होगी कैसी चाल।।
हर इक पल को तुम गुनो, करो व्यर्थ नहि कोय
सार्थक ही सब काज हो, आत्म सन्तुष्टि होय।।
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
भोपाल