नए-नए हैं गाँधी / (श्रद्धांजलि नवगीत)
नई अहिंसा,
नया सत्य है,
नए-नए हैं गाँधी ।
जिसने जितने
“गाल बजाए”
उतना है वो ज्ञानी ।
उतना बड़ा
संत कहलाए
जितना हो अभिमानी ।
बिना त्याग के,
बिना भाव के,
उड़ी धर्म की आँधी ।
हत्यारों की
पूजा होती
देश भक्त कहलाते ।
चोरों का
चलता अनुशासन
बड़े सख़्त कहलाते ।
संत फकीरों
के मंदिर में
उछल रही है चाँदी ।
‘पतली गली’
निकल लो बापू
चरखा नहीं चलेगा ?
भीडभाड़ है
बहुत यहाँ पर
कौन तुम्हें पूछेगा ?
मक्कारों ने
बटमारों ने
पहन रखी है खादी ।
नई अहिंसा,
नया सत्य है,
नए-नए हैं गाँधी ।
०००
—– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।