नई उम्मीद
एक शाम उदास थी, जाने क्या बात थी,
शायद वो अंधेरा नहीं चाहती थी, कुछ डर रहीं थी……..
सुरज ने पुछा क्या हुआ,
शाम ने जवाब दिया,तुम जा रहें हो..
तो कुछ अच्छा नहीं लग रहा….
सुरज ने हसँते हुए कहा,
अरे पगली, कुछी घंटो की तो बात हैं…..
मैं लौट के फिर आऊँगा,
नई उम्मीदों के साथ, नए सपनों के साथ,
इस दुनिया को झगमगाने,
मैं लौट के फिर आऊँगा…….
हार से कभी, उदास न होना,
क्यों की नया दिन फिर लौटता हैं,
नई उम्मीदों और नए सपनों के साथ……