* धड़कन*
धड़कन
तेरी धड़कन से मेरी यूं धड़कन मिली।
बेवजह हर घड़ी अब धड़कता है दिल।।
तुम उधर याद करते हो मुझे जब कभी।
क्या कहें किस कदर फिर तड़पता है दिल।।
जाम भरते हो जब तुम लिए हाथ में।
क्या असर है कि मेरा बहकता है दिल।।
आरजू है कि बाँहों में तुम्हारी रहूँ।
बेकरारी बढ़े ना संभलता है दिल।।
अब तलब है कि तेरा ही दीदार हो।
तेरी यादों से अब ना बहलता है दिल।।
होश मुझको कहाँ तेरी लत जो लगी।
रोज तेरे लिए ही मचलता है दिल।।
मिल कर मुझसे ना अब तुम कभी दूर हो।
सांस थम जाती है रोज मरता है दिल।।
हाल ऐसा ही है क्या तुम्हारा सनम।
मुझसे मिलने तेरा भी तरसता है दिल।।
फर्क तुझको नहीं मेरी ख़बर भी नहीं
कितना रोती हूँ जब भी बिछड़ता है दिल।।
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
p/s खिरैंटी
साईंखेड़ा