No amount of regret changes the past.
स्वाभिमानी व्यक्ति हैं चलते हैं सीना ठोककर
बढ़ने वाला हर पत्ता आपको बताएगा
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मिटता नहीं है अंतर मरने के बाद भी,
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
భారత దేశం మన పుణ్య ప్రదేశం..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
अब ज्यादा तंग मत कर ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !