धोखे का दर्द
धोखे का दर्द
तुमसे ना उम्मीद तो थे मगर,
आदावत करोगे सोचा न था।
जैसे नोचा मेरे जज्बात तूने,
जिस्म गिद्धों ने भी नोचा न था।
गलतफहमी है, दिन यूं ही गुजर जायेंगे,
तेरा ये जिस्म तुम्हारे लोग नोच खायेंगे।
हिसाब जुर्म का तेरे अभी तो बाकी है,
फरिश्ते मौत के आकर के लौट जायेंगे।।
तेरा धोखा तेरा वो झूठ सब है याद मुझे,
दिया था तूने हर रिश्ते को नौनिहालों को।
तेरा रूह भी गजब का तड़पेगा दोजक में,
सुख मिलेगा नहीं “संजय” कभी खयालों में।।
जै हिंद