धूल भी कब्र बना देती है//
यादों में यार कि अब सारे दिन कटते हैं
साँसों के प्यारे गुब्बारे हर रोज़ सिमटते है।
मिट्टी कि नन्ही सी धूल भी कब्र बना देती है
जिसमे हर रोज हम खुदको दफन करते हैं।
यादों में यार कि अब सारे दिन कटते हैं
साँसों के प्यारे गुब्बारे हर रोज़ सिमटते है।
मिट्टी कि नन्ही सी धूल भी कब्र बना देती है
जिसमे हर रोज हम खुदको दफन करते हैं।