Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2021 · 1 min read

धूप बेटा है तो छाँव हैं बेटियाँ।

मुक्तक-

बेटा सूरज तो चंदा सी हैं बेटियाँ।
धूप बेटा तो हैं छाँव सी बेटियाँ।
धूप और छाँव सी जिंदगी में मेरी,
दर्द होता विदा होती जब बेटियाँ।

……✍️ प्रेमी

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all

You may also like these posts

विदाई
विदाई
Aman Sinha
4310.💐 *पूर्णिका* 💐
4310.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना
जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना
gurudeenverma198
माँ -एक अहसास
माँ -एक अहसास
शशि कांत श्रीवास्तव
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
कोई कितना बिख़र गया कैसे ,
कोई कितना बिख़र गया कैसे ,
Dr fauzia Naseem shad
" दिल "
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"श्रद्धा विश्वास रुपिणौ'"*
Shashi kala vyas
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
Dr Archana Gupta
जागता हूँ मैं दीवाना, यादों के संग तेरे,
जागता हूँ मैं दीवाना, यादों के संग तेरे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुझे हार से डर नही लगता क्योंकि मैं जानता हूं यही हार एक दिन
मुझे हार से डर नही लगता क्योंकि मैं जानता हूं यही हार एक दिन
Rj Anand Prajapati
फाल्गुन महिनवा में
फाल्गुन महिनवा में
Er.Navaneet R Shandily
राह अपनी खुद बनाना
राह अपनी खुद बनाना
श्रीकृष्ण शुक्ल
तिरछी गर्दन - व्यंग्य
तिरछी गर्दन - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
काबिल नही तेरे
काबिल नही तेरे
ललकार भारद्वाज
बस मुझे महसूस करे
बस मुझे महसूस करे
Pratibha Pandey
A Hopeless Romantic
A Hopeless Romantic
Vedha Singh
*प्रिया किस तर्क से*
*प्रिया किस तर्क से*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*चलिए बाइक पर सदा, दो ही केवल लोग (कुंडलिया)*
*चलिए बाइक पर सदा, दो ही केवल लोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
Ajit Kumar "Karn"
!! कोई आप सा !!
!! कोई आप सा !!
Chunnu Lal Gupta
221/2121/1221/212
221/2121/1221/212
सत्य कुमार प्रेमी
लोकतांत्रिक मूल्य एवं संवैधानिक अधिकार
लोकतांत्रिक मूल्य एवं संवैधानिक अधिकार
Shyam Sundar Subramanian
म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को,
म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को,
पंकज परिंदा
शेष है अभी...
शेष है अभी...
sushil sarna
विचारों का संगम, भावनाओं की धारा,
विचारों का संगम, भावनाओं की धारा,
Kanchan Alok Malu
आगे हमेशा बढ़ें हम
आगे हमेशा बढ़ें हम
surenderpal vaidya
राहों से हम भटक गए हैं
राहों से हम भटक गए हैं
Suryakant Dwivedi
Jannat ke khab sajaye hai,
Jannat ke khab sajaye hai,
Sakshi Tripathi
दिल पर दस्तक
दिल पर दस्तक
Surinder blackpen
Loading...