धुल मिटटी
✒️जीवन ?की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी में अगर किसी अन्य व्यक्ति की वजह से संबंधों में फ़र्क़ आ रहा हो तो बजाय उस दूरी को बढ़ाने के बेहतर है की अकेले में आपस में बातचीत करके हर छोटी बड़ी -कही अनकही बात को क्लियर कर लिया जाये क्यूंकि संबंधों में अक्सर दरार डलवाई जाती है ,फिर वो सम्बन्ध घर -रिश्तेदारी या ऑफिस कहीं का भी हो …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर आप कहीं गए हैं और आपने दो जनों की आपसी बातचीत सुन ली है -हो सकता है वो बातचीत आपको आपके विरुद्ध लगे तो भी उसे सही नहीं मानना चाहिए क्यूंकि आपको पता नहीं की आपसे पहले या आपके द्वारा सुनी अधूरी बातों को सुन कर बुरा मानते हुए चुपचाप चले जाने के बाद वो क्या सही बातें करें आपके बारे में ..
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हर इंसान को सामने वाले की बातें बहुत ही धैर्यपूर्ण तरीके से पूरी सुननी चाहिए क्यूंकि आधी अधूरी बातें रिश्तों -संबंधों को भी आधा कर देते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की हो सकता है आपको मुझमें अनगिनत कमियां दिखाई देती हों पर मेरी विनती ये है की जिस भी चश्मे से -खिड़की से या आईने के द्वारा आप मुझे देख रहे हैं ,कृपया उस पर जमी हुई धुल मिटटी भी तो साफ़ कीजिये हो सकता है आपको वो दिख जाये जो आपने सोचा ही नहीं था !
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क ? है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
?आपका दिन शुभ हो ?
?सुप्रभात ?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
विकास शर्मा'”शिवाया”
?जयपुर -राजस्थान ?