धुप साया बन चुकी है…
जिंदगी रही ना आसान ,
अब धुप साया बन चुकी है,
हुए पसीने से लतपथ ,
फिरभी जाडा बन चुकी है …
नादान थें हम खोज रहे थे,
जो मिला गलती बन चुकी है …
युँ ठोकरे खाकर चले थे ,
रास्ते कें काटें सुई बन चुकी है…
एक जमाना था हमारा ,
दिलरूबाँ ख्वाब बन चूकी है ,
इतराए तो इतराए किसपर,
बहार पतझड बन चुकी है …
दुःखो से इतना वास्ता है,
जीने का सलीखा बन चुकी है ,
खुशी किसे कहते है ,
नजर अंदाज चिज बन चुकी है …
मरहम ना लगाए कोई ,
जिंदगी दवाँ बन चुकी है ,
रोते हुएँ हसना सिख लिया,
वक्त बेवफाँ बन चुकी है…