धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगें हालात !!
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगें हालात !!
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बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन !
आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन !!
तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात !
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगें हालात !!
बीते कल को भूलकर, चुग डालें सब शूल !
बोयें हम नवभोर पर, सुंदर सुरभित फूल !!
तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार !
नाविक बैठे घाट पर, कब उतरें हैं पार !!
नए दौर में हम करें, फिर से नया प्रयास !
शब्द कलम से जो लिखें, बन जाये इतिहास !!
आसमान को चीरकर, भरते वही उड़ान !
जवां हौसलों में सदा होती जिनके जान !!
उठो चलो, आगे बढ़ो, भूलों दुःख की बात !
आशाओं के रंग से, भर लो फिर जज्बात !!
छोड़े राह पहाड़ भी, नदियाँ मोड़ें धार !
छू लेती आकाश को, मन से उठी हुँकार !!
हँसकर सहते जो सदा, हर मौसम की मार !
उड़े वही आकाश में, अपने पंख पसार !!
हँसकर साथी गाइये, जीवन का ये गीत !
दुःख सरगम सा जब लगे, मानो अपनी जीत !!
सुख-दुःख जीवन की रही, बहुत पुरानी रीत !
जी लें, जी भर जिंदगी, हार मिले या जीत !!
✍ प्रियंका सौरभ