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2 Dec 2021 · 1 min read

धुआं-धुआं है हर गली

दोहे

धुआं-धुआं है हर गली, आँखें सबकी लाल।
आसमान से बरसती, राख बनी है काल।।

त्योहारों पर फूंकते, आतिशबाजी खूब।
आसमान काला किया, गई रौशनी डूब।।

खेतों में भी आग है, जले फसल अवशेष।
मौन प्रशासन हो गया, कर पाया न विशेष।।

धुआं उगलती चिमनियां, चलें खूब उद्योग।
खांस रहा है आमजन, बढ़े स्वांस के रोग।।

परमाणु परीक्षण हुए, किए युद्ध अभ्यास।
पावन वातावरण हो, किए नहीं प्रयास।।

रौनक गायब शाम की, गया सुबह का नूर।
झोंका ताजा हवा का, हुआ बहुत ही दूर।।

सिल्ला भी है लिख रहा, बिगड़े जो हालात।
नारे तख्ती पर लिखे, फिर भी बिगड़ी बात।।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
1 Like · 206 Views
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