धुंधली सी यादें
उभर आई एक तस्वीर ,
कुछ एक धुंधली सी याद ।
हां वो रंगों से सजी थी,
मुस्कान में थी कोई बात।
जिंदगी की कहानी थी,वो
बड़े प्यार से मैंने लिखी थी।
जब भी आती थी मुझे,
अपनी जिद में पिरो लेती थी।
न जाने कहां से आती थी,
मन मे इतनी हिम्मत,
जो दिल में आते, कर लेते,
अब समझ आ रही है उसकी किम्मत।
वो है बचपन की खिलखिलती यादें,
आते ही मन में उमंग लाती है।।
आज हर सुबह शाम में ढल जाती है ,
जिम्मेदारियों में ख्वाहिशें टल जाती है।
Nanki