Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
RAMESH SHARMA
98 Followers
Follow
Report Content
4 Aug 2023 · 1 min read
धीरे सदा किताब
खोलें अपने नैन की,धीरे सदा किताब ।
गिर जायेंगे अन्यथा , बसे अधूरे ख्वाब ।।
रमेश शर्मा
Language:
Hindi
Tag:
दोहा
Like
Share
1 Like
· 252 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like:
राही
Neeraj Agarwal
** सीने पर गहरे घाव हैँ **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उलझनें
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
नींद आज नाराज हो गई,
Vindhya Prakash Mishra
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ये बेपरवाही जंचती है मुझ पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"कमाल"
Dr. Kishan tandon kranti
जब तक मन इजाजत देता नहीं
ruby kumari
रखो वक्त निकाल कर नजदीकिया और निभा लो अपनापन जो भी रिश्ते
पूर्वार्थ
नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अनर्गल गीत नहीं गाती हूं!
Mukta Rashmi
आस्मां से ज़मीं तक मुहब्बत रहे
Monika Arora
हर नदी अपनी राह खुद ब खुद बनाती है ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
झाग गुमसुम लहर के आंँसू हैं
Sandeep Thakur
वरना बे'आब
Dr fauzia Naseem shad
फूलों सा महकना है
Sonam Puneet Dubey
आई वर्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
3379⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
Shweta Soni
ग़ज़ल _अरमान ये मेरा है , खिदमत में बढ़ा जाये!
Neelofar Khan
हुनर है झुकने का जिसमें दरक नहीं पाता
Anis Shah
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
Manisha Manjari
*चिड़िया और साइकिल (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जो चाहते थे पा के भी तुम्हारा दिल खुशी नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
"देह एक शीशी सदृश और आत्मा इत्र।
*प्रणय प्रभात*
"" *तथता* "" ( महात्मा बुद्ध )
सुनीलानंद महंत
बूढ़ी मां
Sûrëkhâ
नहीं हम हैं वैसे, जो कि तरसे तुमको
gurudeenverma198
अपना सफ़र है
Surinder blackpen
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
Loading...