Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2023 · 1 min read

धीरे सदा किताब

खोलें अपने नैन की,धीरे सदा किताब ।
गिर जायेंगे अन्यथा , बसे अधूरे ख्वाब ।।
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 261 Views

You may also like these posts

👍👍👍
👍👍👍
*प्रणय*
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
Sapna Arora
भयंकर शायरी
भयंकर शायरी
Rituraj shivem verma
बंदरबाँट
बंदरबाँट
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सर्द ठिठुरन आँगन से,बैठक में पैर जमाने लगी।
सर्द ठिठुरन आँगन से,बैठक में पैर जमाने लगी।
पूर्वार्थ
सफलता तीन चीजे मांगती है :
सफलता तीन चीजे मांगती है :
GOVIND UIKEY
हो गया जो दीदार तेरा, अब क्या चाहे यह दिल मेरा...!!!
हो गया जो दीदार तेरा, अब क्या चाहे यह दिल मेरा...!!!
AVINASH (Avi...) MEHRA
जय माता दी
जय माता दी
Raju Gajbhiye
जो असंभव है  वो बात कैसे लिखूँ
जो असंभव है वो बात कैसे लिखूँ
Dr Archana Gupta
सातो जनम के काम सात दिन के नाम हैं।
सातो जनम के काम सात दिन के नाम हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
श्री राम अमृतधुन भजन
श्री राम अमृतधुन भजन
Khaimsingh Saini
मुस्कान आई है ....
मुस्कान आई है ....
Manisha Wandhare
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
"दिमागी गुलामी"
Dr. Kishan tandon kranti
*यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें (हिंदी गजल)
*यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
अंधेरा छाया
अंधेरा छाया
Neeraj Mishra " नीर "
गुलाब
गुलाब
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
आजादी का अमृत गौरव
आजादी का अमृत गौरव
RAMESH Kumar
नारी और चुप्पी
नारी और चुप्पी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
shabina. Naaz
इस तरह भी होता है
इस तरह भी होता है
हिमांशु Kulshrestha
दलितों जागो अपना उत्थान करो
दलितों जागो अपना उत्थान करो
डिजेन्द्र कुर्रे
भगवन तेरे द्वार पर, देखे अगणित रूप
भगवन तेरे द्वार पर, देखे अगणित रूप
Suryakant Dwivedi
★मां ★
★मां ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
* हनुमंत का दरबार**
* हनुमंत का दरबार**
Dr. P.C. Bisen
सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.?
सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.?
पंकज परिंदा
कैसी घड़ी है, कितनी खुशी है
कैसी घड़ी है, कितनी खुशी है
gurudeenverma198
3537.💐 *पूर्णिका* 💐
3537.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...