धीरे धीरे ज़िन्दगी, रही देखिये बीत
धीरे धीरे ज़िन्दगी, रही देखिये बीत
नये पुराने साल की, चली आ रही रीत
चली आ रही रीत , समय की बहती धारा
इसका थामे हाथ ,गुजरता जीवन सारा
होते मालामाल, लिये यादों के हीरे
आता अपने पास ,काल यूँ धीरे धीरे
27-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता