Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2018 · 3 min read

धर्म परिवर्तन !

गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली वह बस्ती अल्पसंख्यों की थी। स्थानीय विधायक गुलाम रसूल ने जान बूझ कर मुल्ला मौलवियों के साथ मिल कर आबादी के जीवन स्तर के उत्थान करने की कोशिश कभी नहीं की क्यूंकि उसको पता था यदि ज्ञान का प्रकाश इस आबादी पर पड़ गया तो वोट बैंक तो गया ही गया, उसका रुआब का ताम जाम भी जाएगा । उसकी नज़र हमेशा दुसरे मजहबों के बाशिंदों को अपने मजहब में परिवर्तित कराने की होती जिसके लिए उसको सरहद पार से काफी पैसा भी मिलता था। मकसद एक था , जितना ज्यादा अज्ञान ,अनपढ़ , ज़ाहिल , नादान वोट बैंक होगा उतने ही उसके समुदाय के विधायक विधान सभा में होंगे और एक दिन ऐसा आएगा जब विधान सभाओं में उनका बहुमत हो जाएगा। विधानसभाओं पर कब्ज़ा यानी कि हिंदुस्तान पर कब्ज़ा। मौलाना करीमबक्श भी इसी चाल का एक मोहरा था।
+++
सुबह के अंधेरे उजाले में मौलाना करीमबक्श मस्जिद की चारदीवारी से बाहर निकला और लम्बे लम्बे डग भर कर गांव के ओर जाने वाली पगडंडी को नापता हुआ गांव के पश्चिमी छोर पर जा पहुंचा जहाँ से हिन्दुओं की बस्ती आरम्भ हो जाती थी । उसके मन उल्लास से ओत प्रोत था। एक हिन्दू का धर्म परिवर्तन कराने के लिए उसे १० हज़ार रूपये मिलने वाले थे दूर बैठे सरहद पार उसके आकाओं से स्थानीय विधायक द्वारा I

पगडंडी समाप्त हो चुकी थी। मंदिर सामने था जो हिन्दुओं की बस्ती का एक सूचक था। मौलाना करीमबक्श की बांछे खिल गयी। उसने मंदिर के बाहर बैठे एक मैले कुचले वस्त्र पहने एक अधेड़ व्यक्ति को देखा। आस पास किसी को भी ना पा कर मौलाना नाक भौं सिकोड़ता उस व्यक्ति के पास पहुंचा। किसी को अपने पास पा कर उस अधेड़ के हाथ, मांगने के अंदाज़ में फैल गए।
“क्यों बे हिन्दू हो क्या ?” मौलाना ने पूछा। अधेड़ ने अपना चेहरा आकाश की ओर कर दिया।
“धर्म परिवर्तन कर। मुसलमान बन जा। सब कुछ प्राप्त होगा। रोटी , कपडा , मकान , पैसा , ऐशो आराम , चार -चार बीबीयाँ ” मौलाना ने उसके कान में कहा।
अधेड़ उसको अपने बहुत करीब पा कर सुकुड़ गया। मौलाना बोलता गया।
“क्या दिया है तुम्हारे धर्म ने तुमको। तुम्हारे देवी -देवताओं ने। गरीबी , लाचारी , भुखमरी।”
अधेड़ की ओर से कोई उत्तर ना पा कर वह झुंझला गया।
अधेड़ ने कुछ नहीं कहा। फटी आँखों से वह उसको देखता रहा और अपने हाथ फिर मौलाना के सामने फैला दिए। तभी गाँव का चौधरी रामधन उनकी ओर आता दिखाई दिया।
“अरे, मौलाना ! सुबह सुबह ! यहाँ पर। “चौधरी ने पूछा।
“सलाम, चौधरी। इधर से निकल रहा था। इस गरीब को देखा तो सोचा इसके लिए अल्लाह से दुआ कर लूँ।
‘यह! यह तो नूरबख्श है। तुम्हारी ही बिरादरी का है। गूंगा -बहरा है। रहने, खाने को लाले पड़े थे सो मैंने मंदिर के बाहर जगह दे दी। खाना भंडारे से खाता है। जब तक इसके सगे सम्बन्धी का अता-पता नहीं मिल जाता तब तक तुम इसको अपनी मस्जिद में पनाह दे दो। नमाज़िओं की सेवा भी करेगा और इसको भी दो वक़्त का खाना मिल जाएगा।” चौधरी ने मौलाना से कहा।
पर मौलवी सुन कर भी कुछ नहीं सुन रहा था। उसने उस अधेड़ का हाथ झटक दिया। ‘ तौबा तौबा। खुदा की मार तुझ पर। मेरा वक़्त ज़ाया कर दिया। पहले मालूम होता तो ………” अपनी बात पूरी किये बिना ही मौलाना करीमबक्श अपनी बस्ती की ओर निकल पड़ा। चौधरी रामधन की समझ में कुछ नहीं आया। उसने उस अधेड़ नूरबख्श को उठाया और अपनी बस्ती की और ले चला।
—————————————–
सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Language: Hindi
630 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भ्रम और शक ( संदेह ) में वही अंतर है जो अंतर धुएं और बादल मे
भ्रम और शक ( संदेह ) में वही अंतर है जो अंतर धुएं और बादल मे
Rj Anand Prajapati
हिमनद
हिमनद
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"पनघट की गोरी"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
'अस्त्तित्व मेरा हिन्दुस्तानी है'
'अस्त्तित्व मेरा हिन्दुस्तानी है'
Manisha Manjari
लौट कर फिर से
लौट कर फिर से
Dr fauzia Naseem shad
तुम कहो कोई प्रेम कविता
तुम कहो कोई प्रेम कविता
Surinder blackpen
सियासी मुद्दों पर आए दिन भाड़ सा मुंह फाड़ने वाले धर्म के स्वय
सियासी मुद्दों पर आए दिन भाड़ सा मुंह फाड़ने वाले धर्म के स्वय
*प्रणय*
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
पूर्वार्थ
मम्मी पापा के छांव
मम्मी पापा के छांव
राधेश्याम "रागी"
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
DrLakshman Jha Parimal
बारिश की बूंद
बारिश की बूंद
Neeraj Agarwal
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
Dr. Vaishali Verma
Let us create bridges to connect people beyond boundaries,
Let us create bridges to connect people beyond boundaries,
Chitra Bisht
अनुभूति...
अनुभूति...
ओंकार मिश्र
ले आए तुम प्रेम प्रस्ताव,
ले आए तुम प्रेम प्रस्ताव,
Bindesh kumar jha
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
Raazzz Kumar (Reyansh)
उस स्त्री के प्रेम में मत पड़ना
उस स्त्री के प्रेम में मत पड़ना
Shubham Anand Manmeet
इस जहां में देखा हमने हर चीज का तोड़ है,
इस जहां में देखा हमने हर चीज का तोड़ है,
Keshav kishor Kumar
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
"गड़बड़झाला"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
Sanjay ' शून्य'
दोहा-विद्यालय
दोहा-विद्यालय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
“हिन्दी का सम्मान”
“हिन्दी का सम्मान”
Neeraj kumar Soni
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
4391.*पूर्णिका*
4391.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वयं के स्वभाव को स्वीकार और रूपांतरण कैसे करें। रविकेश झा।
स्वयं के स्वभाव को स्वीकार और रूपांतरण कैसे करें। रविकेश झा।
Ravikesh Jha
तुम मेरे हम बन गए, मैं तु्म्हारा तुम
तुम मेरे हम बन गए, मैं तु्म्हारा तुम
Anand Kumar
*अध्याय 11*
*अध्याय 11*
Ravi Prakash
Loading...