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13 Oct 2024 · 1 min read

धर्म के परदे के पीछे, छुप रहे हैं राजदाँ।

धर्म के परदे के पीछे, छुप रहे हैं राजदाँ।
भोज्य बिन व्याकुल हृदय का पूछता ही कौन है।
कलम घिसने की कला को भूलकर इतरा रही…
क्रंदनो के कड़वापन से कंठ भी अब मौन है।

दीपक झा रुद्रा

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