धर्म और संस्कृति
धर्म का प्रयोग लोग सिर्फ दिखावा के लिए करते हैं नेता सत्ता हथियाने के लिए ,पंडित/मौलवी/पादरी या अन्य अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए और आम लोग सेल्फी के लिए .95% लोग तो धार्मिक किताबें छूते तक नहीं पढ़ना तो दूर की बात है । होड़ सी लगी है खुद को सबसे बड़ा धार्मिक दिखाने की । ऐसे में खुद को उस भीड़ से अलग रखना एक चुनौती है । जैसे जैसे धार्मिक कट्टरता बढ़ेगी पाखंड भी प्रचंड रूप लेगा और विचारों का कत्ल ए आम होगा और फिर से कबीर , फुले एवं बुद्ध जैसे लोगों का प्रदार्पण होगा । अक्सर हम धर्म में फैले कट्टरता और अंधविश्वास को अपने संस्कृति का हिस्सा मानकर उसपर पर्दा डालने का प्रयास करते है । यह भूल आगे चलकर हमें धर्म से अलग करने का मार्ग प्रशस्त करता है और भविष्य में यह भयावह रूप ले सकता है ।