धर्म एक नीजि व्यवस्था
धर्म एक व्यक्तिगत विषय
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कुछ महान् आत्माओं को ,
सोशल-मीडिया मंच पर
सिर्फ़ किसी देवी देवताओं
के चित्र के साथ कोई संदेशवाहक शब्द नहीं,
कोई प्ररेणादायक शब्द नहीं.
बस जय फलां की.
शुभ् फलां वार.
मित्र सूची में देखकर खुंदक आती है.
बेहोशी से बाहर आयें,
और कोई सकारात्मक परिचय/आत्मबल/आत्मविश्वास बढाने वाले विचार प्रस्तुत करें
धर्म को राजनीति से
व्यवहार/विज्ञान/अर्थव्यवस्था/शिक्षा से न जोडें ✍️
यह व्यक्तिगत विषय है.
औरों पर न थोपें.
जीये और जीने दें ?
Mahender Singh
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