धर्मनिरपेक्ष
आसमान बंट चुके है,
प्रयोग मंगल,
चांद पर जारी है,
झंझट हमारे जाति सम्प्रदाय के है.
हमें मिलकर रहने में नहीं.
मुमुक्षा चिंहित करने में है.
जरूरी है लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्ष होना.
संविदा हाशिये पर है.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस
आसमान बंट चुके है,
प्रयोग मंगल,
चांद पर जारी है,
झंझट हमारे जाति सम्प्रदाय के है.
हमें मिलकर रहने में नहीं.
मुमुक्षा चिंहित करने में है.
जरूरी है लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्ष होना.
संविदा हाशिये पर है.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस