Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2023 · 1 min read

धरा कठोर भले हो कितनी,

धरा कठोर भले हो कितनी,
बीज संघर्ष करे है उतनी।
देर सवेर फाड़ कर अवनी,
अंकुर तरु बनता रहता है।

सतीश सृजन

396 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Satish Srijan
View all
You may also like:
प्रभु श्री राम
प्रभु श्री राम
Mamta Singh Devaa
एक पल में ये अशोक बन जाता है
एक पल में ये अशोक बन जाता है
ruby kumari
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रंग रंगीली होली आई
रंग रंगीली होली आई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"जीवन"
Dr. Kishan tandon kranti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लोगो खामोश रहो
लोगो खामोश रहो
Surinder blackpen
कृष्ण की राधा बावरी
कृष्ण की राधा बावरी
Mangilal 713
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मुस्कुराकर बात करने वाले
मुस्कुराकर बात करने वाले
Chitra Bisht
दिल की गुज़ारिश
दिल की गुज़ारिश
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
3326.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3326.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
जो सरकार धर्म और जाति को लेकर बनी हो मंदिर और मस्जिद की बात
जो सरकार धर्म और जाति को लेकर बनी हो मंदिर और मस्जिद की बात
Jogendar singh
महबूबा और फौजी।
महबूबा और फौजी।
Rj Anand Prajapati
🙅चुनावी चौपाल🙅
🙅चुनावी चौपाल🙅
*प्रणय प्रभात*
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
Bhupendra Rawat
मेरे जीने की एक वजह
मेरे जीने की एक वजह
Dr fauzia Naseem shad
I
I
Ranjeet kumar patre
नहीं मतलब अब तुमसे, नहीं बात तुमसे करना
नहीं मतलब अब तुमसे, नहीं बात तुमसे करना
gurudeenverma198
" ठिठक गए पल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
पूर्वार्थ
अधूरी सी ज़िंदगी   ....
अधूरी सी ज़िंदगी ....
sushil sarna
नमन सभी शिक्षकों को, शिक्षक दिवस की बधाई 🎉
नमन सभी शिक्षकों को, शिक्षक दिवस की बधाई 🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
क्या हुआ ???
क्या हुआ ???
Shaily
करो पढ़ाई
करो पढ़ाई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मुलाकात अब कहाँ
मुलाकात अब कहाँ
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
Befikr Lafz
ऐसे हैं हमारे राम
ऐसे हैं हमारे राम
Shekhar Chandra Mitra
Loading...