धरती माता
धरती धर ती कितना बोझा
कभी नहीं हमने ये सोचा |
भेदभाव के बिना सभी को
पाला ज्यों घर की अम्मा ने
किसको पालू किसको छोडूँ
कभी न सोचा धरती मां ने ।
और एक हम तू तू,….मैं मैं
ये तेरा ये मेरा करते
दूसरों की परवरिश क्या
अपने ही माँ बाप अखरते |
भौतिकता अब निश्चित करती
किस पर क्या है इससे जोड़ें
इज्जत की खाने वालों से
पास पड़ौसी भी मुंह मोड़ें ।
वसुधा जैसा करें ह्रदय को
मिलें जुलें बांटें सम्मान
एक दूसरे का हित सोचें
विश्व शांति हित रचें विधान ।
जल, वायु, और ध्वनि प्रदूषण
हमें नियंत्रित करने होंगे
धरती माँ की बढे धारिता
अपने दंश कुतरने होंगे।