धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
दो रोटी के वास्ते, नाच रहा इंसान ।।
जनता को ही छल रहे, जनता के भगवान ।
नेता कुर्सी के लिए, बेच रहे ईमान ।।
सुशील सरना / 2-2-24
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
दो रोटी के वास्ते, नाच रहा इंसान ।।
जनता को ही छल रहे, जनता के भगवान ।
नेता कुर्सी के लिए, बेच रहे ईमान ।।
सुशील सरना / 2-2-24