धन्य हम धन्य हमारे साहेब हम दोनों धन्यवाद के अधिकारी …
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इस फोटो को देख कर क्या लगता है… ???
क्या इन्हें पैसों की जरूरत होगी ?
मतलब रोजी-रोजगार उस से होने वाली आमदनी की जरूरत होगी ???
जिस से इनके पेट की आग बुझे, सर पे छप्पड़ हो। बच्चों को स्कूली शिक्षा, उनके स्वास्थ के लिए अस्पताल, ये सब क्या ?
लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता … पूछिए क्यूँ ?
क्यूँ कि सरकारों को ऐसा नहीं लगता और हम तो पक्के वाले देशभक्त हैं। सरकारों से अलैहदा हम भला कुछ सोच सकते हैं ? ना कभी नहीं
2014 से ही हमारे आंखों में अच्छे दिन का सपना बो दिया गया था। ये अलग बात की अभी पूरा नहीं हुआ तो क्या हुआ ? होता है अभी सिर्फ साढ़े पांच साल में ही ऊब जाएँ और साहेब पर से अपना विश्वास डिगा दें ?
कैसी बात करते हैं ? हम तो अभी सपने सपने में 60 साल और निकाल सकते हैं। का गलत किये साहेब चाहे बीजेप का सरकार अरे इत्ता ही न की हमारे जीने की जरूरत का ख्याल नहीं रख पाए तो इस में इतना का गजब हो गया ? हमारे धरम का रक्षा तो कर रहें हैं न ? धरम बचा रहे, मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गिरजाघर ई सब बस तन के खड़ा रहे।
लोग ई सब में मरते ही हैं बलिदान भी देते हैं सो जनता अपनी जीने की जरूरतों का बलिदान दे रही है। और ऊ बलिदान हमरे साहेब चाहे उनका अभिन्न अंग थोड़े न ले रहें हैं… ऊ त भगवान सब ले रहें हैं। तो कैसा दिक्क्त हम बलिदानी देश के लोग हैं इत्ता भी नहीं कर सकते का ?
आज तक सब सरकार इस में किसी एक की बात नहीं है, लेकिन हाल में साहेब वाला सरकार हम सब को एक बहुत सुंदर (गांव वाले लोगों को) सपना बेचे थे ‘सांसद आदर्श ग्राम’ जिसमें सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में एक गांव गोद लेकर उसे दूसरे गांवों के लिए आदर्श बनाना था
वह अपने आप में आदर्श होने के साथ ही दूसरे गांवों के लिए उदाहरण होता विकास को अपने गोद में खेलाता।
सड़क, बिजली, पानी, स्कूल और यहां तक कि आर्थिक रूप से भी उन्नत हो जाता।
लेकिन वो भी नहीं हुआ एको गांव आदर्श गांव न बन पाया, फिर भी हम लोग (गांव के लोग) कोई शिकायत कर रहे हैं का ?
ना करेंगे हमें तो मोदी ही चाहिए, चाहे जो हो जाय।…
क्यूँ कि उस से क्या होता उस से पटेल का मूर्ति थोड़ न बनता ?
राम लला को तिरपाल से मंदिर थोड़ न मिलता ? काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर थोड़ न बनता ?
ये सब जरूरी है की हमारे जैसे छोटे लोगों के बारे में सोचेंगे ? बेवकूफ़…
…जय हो
…सिद्धार्थ