धन्यवाद
धन्यवाद
धन्यवाद आप का मुकाम दे दिये।
हर्ष हो रहा है आज काम दे दिये।
फिक्र अब समाप्त है सुजान हो गया।
आप की कृपा हुई सुमान हो गया।
दोस्त सिर्फ आप हो हमें सदा सहारते।
धन्यवाद आप का कभी नहीं विसारते।
बात मानते सदैव छोड़ते न साथ हो।
धन्यवाद आप का सदैव दायं हाथ हो।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।